हे जीवन के प्राण
हे जीवन के प्राण ! मेरा अन्तर विकसित कर !
निर्मल कर, उज्ज्वल कर, सुन्दर कर, जागरित कर,
निर्भय और उद्यत कर, निरालस और शंकारहित कर !
हे जीवन के प्राण ! मेरा अन्तर विकसित कर !
मेरा अंत:करण सब से जोड़ता, मुझे बन्धन मुक्त कर !
मेरे सब कामों में तेरा शांतिमय छंद भर जाय !
अपने चरण-कमल पर मेरा चित्त स्थिर कर !
मुझे आनन्दित कर, आनन्दित कर, आनन्दित कर !
हे जीवन के प्राण ! मेरा अन्तर विकसित कर !
अनुवाद: सत्यकाम विद्यालंकार, इंदु जैन
August 3, 2008 at 6:34 pm |
मेरे सब कामों में तेरा शांतिमय छंद भर जाय !
अपने चरण-कमल पर मेरा चित्त स्थिर कर !
मुझे आनन्दित कर, आनन्दित कर, आनन्दित कर !
हे जीवन के प्राण ! मेरा अन्तर विकसित कर !
સર્વાંગ સુંદર ગીત
અને
સરસ અનુવાદ