From Geetanjali – Ravindranath Tagore

हे जीवन के प्राण

हे जीवन के प्राण ! मेरा अन्तर विकसित कर !

निर्मल कर, उज्ज्वल कर, सुन्दर कर, जागरित कर,

निर्भय और उद्यत कर, निरालस और शंकारहित कर !

हे जीवन के प्राण ! मेरा अन्तर विकसित कर !

मेरा अंत:करण सब से जोड़ता, मुझे बन्धन मुक्त कर !

मेरे सब कामों में तेरा शांतिमय छंद भर जाय !

अपने चरण-कमल पर मेरा चित्त स्थिर कर !

मुझे आनन्दित कर, आनन्दित कर, आनन्दित कर !

हे जीवन के प्राण ! मेरा अन्तर विकसित कर !

अनुवाद: सत्यकाम विद्यालंकार, इंदु जैन

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One Response to “From Geetanjali – Ravindranath Tagore”

  1. pragnaju Says:

    मेरे सब कामों में तेरा शांतिमय छंद भर जाय !
    अपने चरण-कमल पर मेरा चित्त स्थिर कर !
    मुझे आनन्दित कर, आनन्दित कर, आनन्दित कर !
    हे जीवन के प्राण ! मेरा अन्तर विकसित कर !

    સર્વાંગ સુંદર ગીત
    અને
    સરસ અનુવાદ

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